sansarlochan.in - [विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति – 1789 French Revolution









Search Preview

[विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति - 1789 French Revolution - Sansar Lochan

sansarlochan.in
French Revolution in Hindi. France ki Kranti kya hai? Iske kya parinaam hue? Ye kab hua? Iska hero kaun tha? World History.फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे
.in > sansarlochan.in

SEO audit: Content analysis

Language Error! No language localisation is found.
Title [विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति - 1789 French Revolution - Sansar Lochan
Text / HTML ratio 53 %
Frame Excellent! The website does not use iFrame solutions.
Flash Excellent! The website does not have any flash contents.
Keywords cloud के की का था और में को थी क्रांति थे से पर राजा वर्ग कर एक Reply फ्रांस French
Keywords consistency
Keyword Content Title Description Headings
के 99
की 67
का 58
था 47
और 47
में 37
Headings
H1 H2 H3 H4 H5 H6
2 2 12 1 0 0
Images We found 21 images on this web page.

SEO Keywords (Single)

Keyword Occurrence Density
के 99 4.95 %
की 67 3.35 %
का 58 2.90 %
था 47 2.35 %
और 47 2.35 %
में 37 1.85 %
को 37 1.85 %
थी 25 1.25 %
क्रांति 23 1.15 %
23 1.15 %
थे 22 1.10 %
से 21 1.05 %
पर 21 1.05 %
राजा 20 1.00 %
वर्ग 20 1.00 %
कर 20 1.00 %
एक 19 0.95 %
Reply 18 0.90 %
फ्रांस 16 0.80 %
French 15 0.75 %

SEO Keywords (Two Word)

Keyword Occurrence Density
2018 at 16 0.80 %
French Revolution 15 0.75 %
फ्रांस की 12 0.60 %
की क्रांति 9 0.45 %
क्रांति French 9 0.45 %
लोगों को 8 0.40 %
राजा के 8 0.40 %
in Hindi 7 0.35 %
Ethics Part 6 0.30 %
शासन का 6 0.30 %
के प्रति 6 0.30 %
क्रांति के 6 0.30 %
था राजा 5 0.25 %
के लिए 5 0.25 %
के कारण 5 0.25 %
का एक 5 0.25 %
फ्रांसीसी क्रांति 4 0.20 %
Reply Anonymous 4 0.20 %
क्रान्ति के 4 0.20 %
रहा था 4 0.20 %

SEO Keywords (Three Word)

Keyword Occurrence Density Possible Spam
फ्रांस की क्रांति 9 0.45 % No
क्रांति French Revolution 9 0.45 % No
की क्रांति French 5 0.25 % No
हो चुका था 4 0.20 % No
उच्च पदों पर 3 0.15 % No
लोगों को धार्मिक 3 0.15 % No
French Revolution का 3 0.15 % No
24 2018 at 3 0.15 % No
Questions with Answers 3 0.15 % No
के उच्च पदों 3 0.15 % No
था लोगों को 3 0.15 % No
1789 French Revolution 3 0.15 % No
– 1789 French 3 0.15 % No
क्रांति – 1789 3 0.15 % No
की क्रांति – 3 0.15 % No
था राजा के 3 0.15 % No
लगा हुआ था 2 0.10 % No
की सम्पूर्ण आय 2 0.10 % No
राष्ट्र की सम्पूर्ण 2 0.10 % No
pm Thank you 2 0.10 % No

SEO Keywords (Four Word)

Keyword Occurrence Density Possible Spam
फ्रांस की क्रांति French 5 0.25 % No
की क्रांति French Revolution 5 0.25 % No
की क्रांति – 1789 3 0.15 % No
– 1789 French Revolution 3 0.15 % No
फ्रांस की क्रांति – 3 0.15 % No
के उच्च पदों पर 3 0.15 % No
क्रांति – 1789 French 3 0.15 % No
क्रांति French Revolution का 3 0.15 % No
प्रतिबंध लगा हुआ था 2 0.10 % No
था लोगों को धार्मिक 2 0.10 % No
पर कड़ा प्रतिबंध लगा 2 0.10 % No
और प्रकाशन पर कड़ा 2 0.10 % No
राष्ट्र की सम्पूर्ण आय 2 0.10 % No
लेखन और प्रकाशन पर 2 0.10 % No
Sajiva on October 27 2 0.10 % No
Dr Sajiva on October 2 0.10 % No
कड़ा प्रतिबंध लगा हुआ 2 0.10 % No
की नींव डाली गई 2 0.10 % No
भाषण लेखन और प्रकाशन 2 0.10 % No
सम्पूर्ण आय पर राजा 2 0.10 % No

Internal links in - sansarlochan.in

हमारा मिशन
Our Mission- Study Material for Hindi Medium Students. Subscribe Us
लेख आमंत्रित
Write for us: Useful Hindi Aritcles for UPSC, SSC, Railway and Banking
संपर्क करें
Contact
बुक-स्टोर
Products - Sansar Lochan
दान-पेटी
Donate - Sansar Lochan
एडिटोरियल
Sansar Editorial - IAS UPSC Articles in Hindi
संसार डेली करंट अफेयर्स
SANSAR - डेली करंट अफेयर्स in Hindi for IAS/UPSC
PDF
[PDF] करंट अफेयर्स - आईएएस, SSC, Banking परीक्षा के लिए
संसार वीकली क्विज
Sansar Current Affairs Quiz for UPSC IAS Exam in Hindi
सामान्य ज्ञान क्विज
GK Quiz: सामान्य ज्ञान क्विज- Samanya Gyan in Hindi
योजना
Yojana in Hindi - Government Schemes (Month-Wise Collection)
इतिहास
भारत और विश्व का इतिहास: India and World History Notes in Hindi
भूगोल
भूगोल नोट्स: Indian and World Geography Notes in Hindi
पोलिटी
Polity Notes in Hindi for UPSC, SSC, Railway & Other Exams
अर्थव्यवस्था
अर्थशास्त्र नोट्स: Economics Notes in Hindi for UPSC, SSC and Banking
मंथन
संसार मंथन - सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के लिए लेखन-अभ्यास
Cart
Basket
UPSC
UPSC Syllabus मेंस और प्री IAS Syllabus in Hindi
UPPSC
UP (उ. प्र. लोक सेवा आयोग) PSC Pre & Mains Syllabus in Hindi - Sansar Lochan
SSC CHSL
SSC CHSL Syllabus एसएससी सिलेबस in Hindi - Sansar Lochan
RPSC
RPSC Syllabus मेंस और प्री RAS Syllabus in Hindi - Sansar Lochan
MPPSC
MPPSC मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग Pre+Mains Syllabus in PDF - Sansar Lochan
JPSC
JPSC झारखण्ड लोक सेवा आयोग Pre+Mains Syllabus in PDF - Sansar Lochan
Answerkey
Answer Keys Archives - Sansar Lochan
पर्यावरण
पर्यावरण और जैव विविधता: Environment and Bio-Diversity Notes in Hindi
डाउनलोड
डाउनलोड NCERT, NIOS, IGNOU की किताबें in Hindi
विज्ञान
Science-Tech से सम्बंधित Articles in Hindi - Notes for UPSC
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध: International Relations Notes in Hindi
इकोनॉमिक्स
Economics Notes Archives - Sansar Lochan
राजनीति विज्ञान
Polity Notes Archives - Sansar Lochan
लेखक
Authors
विडियो
Video Archives - Sansar Lochan
Sansar Lochan
About Author Sansar Lochan
1 Comment
[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Society GS Paper 1/Part 8 - Sansar Lochan
No Comment
विमुक्त, घुमन्तू / अर्द्ध घुमन्तू जनजाति - Denotified, Notified, Semi-Nomadic Tribes
Ruchira
Ruchira, Author at Sansar Lochan
No Comment
[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Society GS Paper 1/Part 7 - Sansar Lochan
Banking
Banking Archives - Sansar Lochan
6 Comments
भारत में बैंक विलय और अधिग्रहण का इतिहास - PCA Framework in Hindi
24 Comments
Bitcoin के बारे में Full जानकारी - Mining, Wallet and Types - Sansar Lochan
25 Comments
NPA क्या होता है? Non-Performing Asset in Hindi - Sansar Lochan
16 Comments
SIDBI (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक) in Hindi - Sansar Lochan
32 Comments
Open Market Operations क्या है? खुले बाजार का सञ्चालन in Hindi - Sansar Lochan
31 Comments
LAF क्या होता है? LAF meaning in Banking in Hindi - Sansar Lochan
33 Comments
MSF क्या होता है? Marginal Standing Facility in Hindi - Sansar Lochan
18 Comments
M0 M1 M2 M3 M4 मुद्रा की पूर्ति (Money Supply) के मापक - Sansar Lochan
6 Comments
BASEL 3 Norms Tier 1 Tier 2 Meaning in Hindi - Sansar Lochan
World History
World History Archives - Sansar Lochan
यूरोपियन यूनियन (European Union) का विकास और उसके अंग
यूरोपियन यूनियन (European Union) का विकास और उसके अंग - Sansar Lochan
Babli Gautam
Babli Gautam, Author at Sansar Lochan
औद्योगिक क्रांति – Industrial Revolution in Hindi
औद्योगिक क्रांति - Industrial Revolution in Hindi - Sansar Lochan
Dr. Sajiva
Dr. Sajiva, Author at Sansar Lochan
इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति -Glorious Revolution 1688 in Hindi
इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति -Glorious Revolution 1688 in Hindi - Sansar Lochan
बोस्टन की चाय-पार्टी की घटना क्या थी?
बोस्टन की चाय-पार्टी की घटना क्या थी? - Sansar Lochan
जर्मनी का एकीकरण – Unification of Germany in Hindi
जर्मनी का एकीकरण - Unification of Germany in Hindi - Sansar Lochan
यूरोप का पुनर्जागरण – Renaissance in Europe
यूरोप का पुनर्जागरण - Renaissance in Europe - Sansar Lochan
अमेरिका का स्वतंत्रता-संग्राम – American Revolution
अमेरिका का स्वतंत्रता-संग्राम - American Revolution - Sansar Lochan
इटली का एकीकरण – Unification of Italy in Hindi
इटली का एकीकरण - Unification of Italy in Hindi - Sansar Lochan
[विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति – 1789 French Revolution
[विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति - 1789 French Revolution - Sansar Lochan
प्रथम विश्वयुद्ध – First World War [1914-18]
First World War [1914-18] in Hindi : Explained
History
History Archives - Sansar Lochan
5 Comments
अजंता की गुफाएँ और चित्रांकन-विधि - The Ajanta Cave Paintings in Hindi
2 Comments
चैत्यगृह का उद्भव, विकास और रूपरेखा - चैत्य और विहार में अंतर
1 Comment
[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Culture & Heritage GS Paper 1/Part 4 - Sansar Lochan
5 Comments
गदर पार्टी के बारे में जानें - Gadar Party 1913 in Hindi - Sansar Lochan

Sansarlochan.in Spined HTML


[विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति - 1789 French Revolution - Sansar Lochan होमपेज हमारा मिशन लेख आमंत्रित संपर्क करें बुक-स्टोर दान-पेटी Friend on Facebook Follow on Twitter Add to Google+ Circle Connect on Linked in Watch on YouTube Subscribe to RSS Search × Search in Site To search in site, type your keyword and hit enter Close HOME एडिटोरियल करंट अफेयर्स संसार डेली करंट अफेयर्स PDF Quiz संसार वीकली क्विज सामान्य ज्ञान क्विज योजना इतिहास भूगोल पोलिटी अर्थव्यवस्था मंथन Cart सिलेबस UPSC UPPSC SSC CHSL RPSC MPPSC JPSC Answerkey भूगोल पर्यावरण डाउनलोड विज्ञान अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध किताबें इकोनॉमिक्स राजनीति विज्ञान लेखक विडियो पर्यावरण [विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति – 1789 French Revolution By Dr. Sajiva on October 27, 201641 Comments Share on Facebook Follow on Facebook Add to Google+ Connect on Linked in Subscribe by Email Print This Post Contents1 फ्रांस की क्रांति (French Revolution): भूमिका 1.1 राजनैतिक कारण1.2 सामजिक कारण1.3 आर्थिक कारण1.4 बौधिक जागरण 1.5 सैनिकों में असंतोष2 फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम2.1 Share this with your friends:2.2 Related फ्रांस की क्रांति (French Revolution): भूमिका 18वीं शताब्दी के 70-80 के दशकों में विभिन्न कारणों से राजा और तत्कालीन राजव्यवस्था के प्रति फ्रांस के नागरिकों में विद्रोह की भावना पनप रही थी. यह विरोध धीरे-धीरे तीव्र होता चला गया. अंततोगत्वा 1789 में राजा लुई 16वाँ (Louis XVI) को एक सभा बुलानी पड़ी. इस सभा का नाम General State था. यह सभा कई वर्षों से बुलाई नहीं गयी थी. इसमें सामंतों के अतिरिक्त सामान्य वर्ग के भी प्रतिनिधि होते थे. इस सभा में जनता की माँगों पर जोरदार बहस हुई. स्पष्ट हो गया कि लोगों में व्यवस्था की बदलने की बैचैनी थी. इसी बैचैनी का यह परिणाम हुआ कि इस सभा के आयोजन के कुछ ही दिनों के बाद सामान्य नागरिकों का एक जुलूस बास्तिल नामक जेल पहुँच गया और उसके दरवाजे तोड़ डाले गए. सभी कैदी बाहर निकल गए. सच पूंछे तो नागरिक इस जेल को जनता के दमन का प्रतीक मानते थे. कुछ दिनों के बाद महिलाओं का एक दल राजा के वर्साय स्थित दरबार को घेरने निकल गया जिसके फलस्वरूप राजा को पेरिस चले जाना पड़ा. इसी बीच General State ने कई क्रांतिकारी कदम भी उठाना शुरू किए. यथा –  मानव के अधिकारों की घोषणा, मेट्रिक प्रणाली का आरम्भ, चर्च के प्रभाव का समापन, सामंतवाद की समाप्ति की घोषणा, दास प्रथा के अंत की घोषणा आदि. General State के सदस्यों में मतभेद भी हुए. कुछ लोग क्रांति के गति को धीमी रखना चाहते थे. कुछ अन्य प्रखर क्रान्ति के पोषक थे. इन लोगों में आपसी झगड़े भी होने लगे पर इनका नेतृत्व कट्टर क्रांतिकारियों के हाथ में रहा. बाद में इनके एक नेता Maximilian Robespierre हुआ जिसने हज़ारों को मौत के घाट उतार दिया. उसके एक वर्ष के नेतृत्व को आज भी आतंक का राज (Reign of terror) कहते हैं. इसकी परिणति स्वयं Louis 16th और उसकी रानी की हत्या से हुई. राजपरिवार के हत्या के पश्चात् यूरोप के अन्य राजाओं में क्रोध उत्पन्न हुआ और वे लोग संयुक्त सेना बना-बना कर क्रांतिकारियों के विरुद्ध लड़ने लगे. क्रांतिकारियों ने भी एक सेना बना ली जिसमें सामान्य वर्ग के लोग भी सम्मिलित हुए. क्रान्ति के नए-नए उत्साह के कारण क्रांतिकारियों की सेना बार-बार सफल हुई और उसका उत्साह बढ़ता चला गया. यह सेना फ्रांस के बाहर भी भूमि जीतने लगी. इसी बीच इस सेना का एक सेनापति जिसका नाम नेपोलियन बोनापार्ट था, अपनी विजयों के कारण बहुत लोकप्रिय हुआ. इधर फ्रांस के अन्दर कट्टर क्रांति से लोग ऊब चुके थे. इसका लाभ उठाते हुए और अपनी लोकप्रियता को भुनाते हुए नेपोलियन ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया और एक Consulate बना कर शासन चालने लगा. यह शासन क्रांतिकारी सिद्धांतों पर चलता रहा. अंततः नेपोलियन ने सम्राट की उपाधि अपने आप को प्रदान की और इस प्रकार फ्रांसमें राजतंत्र दुबारा लौट आया. इस प्रकार हम कह सकते हैं फ्रांस की क्रांति (French Revolution) अपनी चरम अवस्था में थी. 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) आधुनिक युग की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी. यह क्रांति (French Revolution) निरंकुश राजतंत्र, सामंती शोषण, वर्गीय विशेषाधिकार तथा प्रजा की भलाई के प्रति शासकों की उदासीनता के विरुद्ध प्रारंभ हुई थी. उस समय फ्रांस में न केवल शोषित और असंतुष्ट वर्ग की विद्दमान थे, बल्कि वहाँ के आर्थिक और राजनैतिक ढाँचा में भी विरोधाभास देखा जा सकता था. राजनैतिक शक्ति का केन्द्रीकरण हो चुका था. सम्पूर्ण देश की धुरी एकमात्र राज्य था. समाज का नेतृत्व शनैः शनैः बुद्धिजीवी वर्ग के हाथ में आ रहा था. राजा शासन का सर्वोच्च अधिकारी होता था. राजा की इच्छाएँ ही राज्य का कानून था. लोगों को किसी प्रकार का नागरिक अधिकार प्राप्त नहीं था. राजा के अन्यायों और अत्याचारों से आम जनता परेशान थी. भाषण, लेखन और प्रकाशन पर कड़ा प्रतिबंध लगा हुआ था. लोगों को धार्मिक स्वंतत्रता भी  नहीं दी गयी थी. राष्ट्र की सम्पूर्ण आय पर राजा का निजी अधिकार था. सम्पूर्ण आमदनी राजा-रानी और दरबारियों के भोग-विलास तथा आमोद-प्रमोद पर खर्च हो जाता था. राज्य के उच्च पदों पर राजा के कृपापात्रों की नियुक्ति होती थी. स्थानीय स्वशासन का अभाव था. फ्रांसीसी समाज दो टुकड़ों में बँट कर रह गया था – एक सुविधा-प्राप्त वर्ग और दूसरा सुविधाहीन वर्ग.  फ्रांस की क्रांति (French Revolution) का प्रभाव विश्वव्यापी हुआ. इसके फलस्वरूप निरंकुश शासन तथा सामंती व्यवस्था का अंत हुआ. प्रजातंत्रात्मक शासन-प्रणाली की नींव डाली गई. सामजिक, आर्थिक और धार्मिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण सुधार लाये गए. राजनैतिक कारण i) निरंकुश राजतंत्र राजतंत्र की निरंकुशता फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) का एक प्रमुख कारण था. राजा शासन का सर्वोच्च अधिकारी होता था. वह अपनी इच्छानुसार काम करता था. वह अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि बतलाता था. राजा के कार्यों के आलोचकों को बिना कारण बताए जेल में डाल दिया जाता था. राजा के अन्यायों और अत्याचारों से आम जनता तबाह थी. वह निरंकुश से छुटकारा पाने के लिए कोशिश करने लगी. ii) स्वतंत्रताओं का अभाव फ्रान्स में शासन का अति केन्द्रीकरण था. शासन के सभी सूत्र राजा के हाथों में थे. भाषण, लेखन और प्रकाशन पर कड़ा प्रतिबंध लगा हुआ था. राजनैतिक स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव था. लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता भी नहीं थी. बंदी प्रत्यक्षीकरण नियम की व्यवस्था नहीं थी. न्याय और स्वतंत्रता की इस नग्न अवहेलना के कारण लोगों का रोष धीरे-धीरे क्रांति का रूप ले रहा था. iii) राजप्रसाद का विलासी जीवन और धन का अपव्यय राष्ट्र की सम्पूर्ण आय पर राजा का निजी अधिकार था. सम्पूर्ण आमदनी राजा-रानी और दरबारियों के भोग-विलास तथा आमोद-प्रमोद पर खर्च हुआ होता था. रानी बहुमूल्य वस्तुएँ खरीदने में अपार धन खर्च करती थी. एक ओर किसानों, श्रमिकों को भरपेट भोजन नहीं मिलता था तो दूसरी ओर सामंत, कुलीन और राजपरिवार के सदस्य विलासिता का जीवन बिताते थे. iv) प्रशासनिक अव्यवस्था फ्रान्स का शासन बेढंगा और अव्यवस्थित था. सरकारी पदों पर नियुक्ति योग्यता के आधार पर नहीं होती थी. राजा के कृपापात्रों की नियुक्ति राज्य के उच्च पदों पर होती थी. भिन्न-भिन्न प्रान्तों में अलग-अलग कानून थे. कानून की विविधता के चलते स्वच्छ न्याय की आशा करना बेकार था. सामजिक कारण i) पादरी वर्ग फ्रांसमें रोमन कैथोलिक चर्च की प्रधानता थी. चर्च एक स्वतंत्र संस्था के रूप में काम कर रहा था. इसका अपना अलग संगठन था, अपना न्यायालय था और धन प्राप्ति का स्रोत था. देश की भूमि का पाँचवा भाग चर्च के पास था. चर्च की वार्षिक आमदनी करीब तीस करोड़ रुपये थी. चर्च स्वयं करमुक्त था, लेकिन उसे लोगों पर कर लगाने का विशेष अधिकार प्राप्त था. चर्च की अपार संपत्ति से बड़े-बड़े पादरी भोग-विलास का जीवन बिताते थे. धर्म के कार्यों से उन्हें कोई मतलब नहीं था. वे पूर्णतया सांसारिक जीवन व्यतीत करते थे. ii) कुलीन वर्ग फ्रांसका कुलीन वर्ग सुविधायुक्त एवं सम्पन्न वर्ग था. कुलीनों को अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे. वे राजकीय कर से मुक्त थे. राज्य, धर्म और सेना के उच्च पदों पर कुलीनों की नियुक्ति होती थी. वे किसानों से कर वसूल करते थे. वे वर्साय के राजमहल में जमे रहते और राजा को अपने प्रभाव में बनाए रखने की पूरी कोशिश करते थे. कुलीनों के विशेषाधिकार और उत्पीड़न ने साधारण लोगों को क्रांतिकारी बनाया था. iii) कृषक वर्ग किसानों का वर्ग सबसे अधिक शोषित और पीड़ित था. उन्हें कर का बोझ उठाना पड़ता था. उन्हें राज्य, चर्च और जमींदारों को अनेक प्रकार के कर देने पड़ते थे. कृषक वर्ग अपनी दशा में सुधार लान चाहते थे और यह सुधार सिर्फ एक क्रांति द्वारा ही आ सकती थी. iv) मजदूर वर्ग मजदूरों और कारीगरों की दशा अत्यंत दयनीय थी. औद्योगिक क्रान्ति के कारण घरेलू उद्योग-धंधों का विनाश हो चुका था और मजदूर वर्ग बेरोजगार हो गए थे. देहात के मजदूर रोजगार की तलाश में पेरिस भाग रहे थे. क्रांति के समय (French Revolution) मजदूर वर्ग का एक बड़ा गिरोह तैयार हो चुका था. v) मध्यम वर्ग माध्यम वर्ग के लोग सामजिक असमानता को समाप्त करना चाहते थे. चूँकि तत्कालीन शासन के प्रति सबसे अधिक असंतोष मध्यम वर्ग में था, इसलिए क्रांति (French Revolution) का संचालन और नेतृत्व इसी वर्ग ने किया. आर्थिक कारण विदेशी युद्ध और राजमहल के अपव्यय के कारण फ्रांस की आर्थिक स्थिति लचर हो गयी थी. आय से अधिक व्यय हो चुका था. खर्च पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा था. कर की असंतोषजनक व्यवस्था के साथ-साथ शासकों की फिजूलखर्ची से फ्रांसकी हालत और भी ख़राब हो गई थी. बौधिक जागरण  विचारकों और दार्शनिकों ने फ्रांसकी राजनैतिक एवं सामाजिक बुराइयों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया और तत्कालीन व्यवस्था के प्रति असंतोष, घृणा और विद्रोह की भावना को उभरा. Montesquieu, Voltaire, Jean-Jacques Rousseau के विचारों से मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित था. Montesquieu ने समाज और शासन-व्यवस्था की प्रसंशा Power-Separation Theory का प्रतिपादन किया. वाल्टेयर ने सामाजिक एवं धार्मिक कुप्रथाओं पर प्रहार किया. रूसो ने राजतंत्र का विरोध किया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बल दिया. उसने जनता की सार्वभौमिकता के सिद्धांत (Principles of Rational and Just Civic Association) का प्रतिपादन किया. इन लेखकों ने लोगों को मानसिक रूप से क्रान्ति के लिए तैयार किया. सैनिकों में असंतोष फ्रांस की सेना भी तत्कालीन शासन-व्यवस्था से असंतुष्ट थी. सेना में असंतोष फैलते ही शासन का पतन अवश्यम्भावी हो जाता है. सैनिकों को समय पर वेतन नहीं मिलता था. उनके खाने-पीने तथा रहने की उचित व्यवस्था नहीं थी. उन्हें युद्ध के समय पुराने अस्त्र-शस्त्र दिए जाते थे. ऐसी स्थिति में सेना में रोष का उत्पन्न होना स्वाभाविक था. फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम निरंकुश शासन का अंत कर प्रजातंत्रात्मक शासन-प्रणाली की नींव डाली गई. प्रशासन के साथ-साथ सामजिक, धार्मिक एवं आर्थिक जीवन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए. फ्रांस की क्रांति (French Revolution) ने निरंकुश शासन का अंत कर लोकप्रिय संप्रभुता के सिद्धांत को प्रतिपादित किया. क्रांति के पूर्व फ्रांसऔर अन्य यूरोपीय देशों के शासक निरंकुश थे. उनपर किसी प्रकार का वैधानिक अंकुश नहीं था. क्रांति ने राजा के विशेषाधिकारों और दैवी अधिकार सिद्धांत पर आघात किया. इस क्रांति के फलस्वरूप सामंती प्रथा (Feudal System) का अंत हो गया. कुलीनों के विदेषाधिकार समाप्त कर दिए गए. किसानों को सामंती कर से मुक्त कर दिया गया. कुलीनों और पादरियों के विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गये. लोगों को भाषण-लेखन तथा विचार-अभीव्यक्ति का अधिकार दिया गया. फ्रांस की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए  कर-प्रणाली (tax system) में सुधार लाया गया. कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका को एक-दूसरे से पृथक् कर दिया गया. अब राजा को संसद के परामर्श से काम करना पड़ता था. न्याय को सुलभ बनाने के लिए न्यायालय का पुनर्गठन किया गया. सरकार के द्वारा सार्वजनिक शिक्षा की व्यवस्था की गई. फ्रांसमें एक एक प्रकार की शासन-व्यवस्था स्थापित की गई, एक प्रकार के आर्थिक नियम बने और नाप-तौल की नयी व्यवस्था चालू की गई. लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता मिली. उन्हें किसी भी धर्म के पालन और प्रचार का अधिकार मिला. पादरियों को संविधान के प्रति वफादारी की शपथ लेनी पड़ती थी. French Revolution ने लोगों को विश्वास दिलाया कि राजा एक अनुबंध के अंतर्गत प्रजा के प्रति उत्तरदायी है. यदि राजा अनुबंध को भंग करता है तो प्रजा का अधिकार है कि वह राजा को पदच्युत कर दे. यूरोप के अनेक देशों में निरंकुश राजतंत्र को समाप्त कर प्रजातंत्र की स्थापना की गयी.     फ्रांस की क्रांति, विश्व इतिहास [विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति – 1789 French Revolution widow by Dr. Sajiva on October 27, 2016View all posts by Dr. Sajiva → Share this with your friends:WhatsAppTweet Related 41 Responses to "[विश्व इतिहास] फ्रांस की क्रांति – 1789 French Revolution" ← Older Comments Anonymous   September 24, 2018 at 6:33 am Thank you sir nice 👌 Reply Anchal Bharti   September 16, 2018 at 7:12 am Thanks for explaining….. Reply Cute alu🤗   August 17, 2018 at 4:45 pm Love uu😘😘 Reply Hanuwant Singh   July 24, 2018 at 5:30 pm bahut achha prayas…dhanyavaad Reply Bains   July 12, 2018 at 3:15 pm French Revolution for PCS exam.. Reply Anant   July 6, 2018 at 4:52 am Very nice subtitle inhidi I liked it Reply Anonymous   June 23, 2018 at 10:35 pm Amazing explained Reply Rakesh kheriwal   June 5, 2018 at 5:29 pm Really good explain Reply Anonymous   May 22, 2018 at 7:34 pm Thank you and very nice explained Reply Ashok Kumar nagora   May 17, 2018 at 5:52 am Excellent material but factual information are not Reply Mansi Gupta   May 7, 2018 at 5:14 am Thank you sir Aapne is site par is installment ke Bahut hi important questions dalen hai. Mujhe Ye kahin bhi nhi mile. Reply Aaditya   April 13, 2018 at 8:29 pm Marvellous hai bhai Reply Anita's   April 13, 2018 at 6:22 pm Anita’s love for you guys Reply Anonymous   March 31, 2018 at 7:51 pm Thank you for this artical Reply Gurudayal patel   March 24, 2018 at 7:39 pm Very nice….. Reply Anonymous   March 19, 2018 at 8:26 pm Very nice Reply ← Older Comments Leave a Reply Cancel Reply Your email write will not be published. Notify me of follow-up comments by email. Notify me of new posts by email. This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your scuttlebutt data is processed. Subscribe to Blog via Email Enter your email write to subscribe to this blog and receive notifications of new posts by email. EmailWrite[Sansar Editorial] भारत और नेपाल के बीच सम्बन्ध : India-Nepal Relations in Hindi [Sansar Editorial] भारत और तिब्बत के बीच सम्बन्ध : Indo-Tibet Relationship in Hindi [संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Polity GS Paper 2/Part 8 [Sansar Editorial] चीन की बढ़ती ताकत और South Pacific Silk Road पर उसका दबदबा [संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Polity GS Paper 2/Part 4 भारत का पड़ोसी देशों के साथ नदी जल सम्बन्ध – India’s Water Relations with Neighbors भारत का पड़ोसी देश के साथ कूटनीतिक सम्बन्ध – India’s Diplomatic Relationship with her Neighbors [Sansar Editorial] भारत और आसियान के 25 साल – ASEAN 2018 Highlights पंचशील समझौता क्या है? Panchsheel Treaty in Hindi आइये जानते हैं क्या होती है सर्जिकल स्ट्राइक? Surgical Strike in Hindi पाकिस्तान से Most Favoured Nation (MFN) का दर्जा वापस लेने का मामला सिन्धु जल संधि एवं इसका सामरिक महत्त्व – Sindhu River Treaty Conflict in Balochistan: Indo-Pak Issues & China Angle in Hindi Background and details of Nepal New Constitution हिंदी में पढ़ें Recent Comments Chintan zaad on 2018 QUIZ :- Sansar Current Affairs, 06 September – 12 SeptemberKumar Bhanu Ranjan Jha on राज्यपाल से सम्बंधित विवरण : Governor of India in HindiRajesh yadav on संयुक्त राष्ट्र संघ के विषय में जानें – United Nations in HindiRavi prasad on Five Years UPSC Essay – निबंध [2014 – 2018] Download PDFRanjit on Sansar डेली करंट अफेयर्स, 29 September 2018 पॉलिटी इतिहास अर्थव्यवस्था भूगोल Sansar Lochan Now in English Also UPSC 2018 GS Paper 4 – Ethics Questions Download in PDF[Case Study] Ethics Part 6 – UPSC Solved Questions[Case Study] Ethics Part 5 – UPSC Solved Questions[Case Study] Ethics Part 4 – Solved Questions with Explanation[Case Study] Ethics Part 3 – Three Practice Questions with Answers[Case Study] Ethics Part 2 – Two Sample Questions with Answers[Case Study] Ethics Part 1 – Two Model Questions with AnswersCauvery Verdict – Constitutional Provisions for Inter-State Water DisputesInter-State Council – Background and Composition (Article 263)The Nature and Significance of Writs in India with Examples © 2018, ↑ Sansar Lochan वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌ | Powered by WordPress - Gabfire Themes